मुंबई, 10 नवंबर। महालक्ष्मी अय्यर भारतीय संगीत की उन चुनिंदा गायिकाओं में से एक हैं, जिनकी आवाज ने न केवल बॉलीवुड के गानों को अमर बना दिया है, बल्कि यह दक्षिण भारतीय सिनेमा और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी गूंजती है।
1976 में मुंबई में जन्मी महालक्ष्मी ने संगीत की एक समृद्ध विरासत को अपने भीतर समेटा है। उनकी मां एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका थीं, जिन्होंने उन्हें बचपन से ही संगीत की बारीकियों से अवगत कराया। तीन बहनों के साथ बड़े होते हुए, महालक्ष्मी ने अपने घर को ही अपना पहला संगीत विद्यालय बना लिया। मुंबई के एक प्रतिष्ठित कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बावजूद, उनका मन हमेशा संगीत की ओर ही लगा रहा। आज, अपने पांच दशकों के करियर में, उनकी आवाज में वही ताजगी है जो दो दशकों पहले थी।
महालक्ष्मी का संगीत सफर 1997 में हिंदी फिल्म 'दस' से शुरू हुआ, जहां उन्होंने शंकर-एहसान-लॉय के साथ 'ट्राओ' गाने में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। 1998 में मणि रत्नम की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'दिल से' में एआर रहमान के संगीत से सजे 'ए अजनबी' गाने ने उन्हें रातोंरात प्रसिद्धि दिलाई। यह गाना शाहरुख खान और मनीषा कोइराला पर फिल्माया गया था और आज भी युवाओं के बीच लोकप्रिय है।
महालक्ष्मी की मधुर आवाज ने एआर रहमान का दिल जीत लिया, और इसके बाद वे उनकी पसंदीदा गायिकाओं में शामिल हो गईं। 'दिल से' के बाद, 'अलग' और 'बॉम्बे' जैसी फिल्मों के गाने भी उनकी उपलब्धियों में जुड़ते गए।
दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी उनका योगदान अद्वितीय है। उन्होंने तमिल फिल्म 'कन्नथिल मुत्तमित्ताल' के टाइटल ट्रैक को गाया, जो रहमान के साथ उनका एक और यादगार सहयोग था। तेलुगु में 'बाहुबली' श्रृंखला के कुछ गाने और कन्नड़ फिल्मों में भी उनकी आवाज ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने मराठी, गुजराती, बंगाली, ओडिया और असमिया जैसी भाषाओं में 300 से अधिक गाने गाए हैं।
महालक्ष्मी अय्यर को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें 2000 में 'ए अजनबी' के लिए फिल्मफेयर अवार्ड फॉर बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर शामिल है, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसके अलावा, उन्हें स्टार स्क्रीन अवार्ड, जी सिने अवार्ड और आईआईएफए अवार्ड जैसे कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। दक्षिण भारत में भी उन्हें तमिलनाडु स्टेट अवार्ड और कर्नाटक स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
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